मुकेश अंबानी एक बार फिर इतिहास रचने जा रहे हैं। इस बार उनका सपना है भारत को ग्रीन एनर्जी का सुपरपावर बनाना। गुजरात के कच्छ में रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) 5,50,000 एकड़ जमीन पर दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-साइट सोलर प्रोजेक्ट बना रही है। यह प्रोजेक्ट इतना विशाल है कि सिंगापुर से भी तीन गुना बड़ा होगा। कंपनी का दावा है कि यह साइट अगले दशक में भारत की करीब 10% बिजली की जरूरत पूरी करने की क्षमता रखेगी।

कच्छ में ग्रीन एनर्जी की क्रांति
कच्छ के बंजर और रेगिस्तानी इलाके को अब सोलर एनर्जी का केंद्र बनाने की तैयारी हो रही है। मुकेश अंबानी ने शेयरधारकों को बताया कि इस प्रोजेक्ट से हर दिन 55 मेगावॉट सोलर मॉड्यूल और 150 मेगावॉट-घंटे बैटरी कंटेनर लगाए जाएंगे, जो इसे दुनिया के सबसे तेज इंस्टॉलेशन में से एक बना देगा। इस प्रोजेक्ट को सीधे जामनगर और कांडला के समुद्री और स्थलीय इन्फ्रास्ट्रक्चर से जोड़ा जाएगा। इसका मतलब है कि यहां से न केवल घरेलू मांग पूरी होगी बल्कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स जैसे ग्रीन अमोनिया, ग्रीन मेथनॉल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल का भी निर्यात कर पाएगा।
रिलायंस का सोलर मैन्युफैक्चरिंग हब
रिलायंस ने सोलर पीवी मैन्युफैक्चरिंग प्लेटफॉर्म को भी शुरू कर दिया है, जिसने अपने पहले 200 मेगावॉट हेटेरोजंक्शन टेक्नोलॉजी (HJT) मॉड्यूल्स तैयार किए हैं। ये मॉड्यूल 10% ज्यादा एनर्जी यील्ड, 20% बेहतर टेम्परेचर परफॉर्मेंस और 25% कम डिग्रेडेशन देते हैं। आने वाले समय में यह क्षमता 10 GWp सालाना तक बढ़ाई जाएगी और फिर 20 GWp तक ले जाई जाएगी। इसका मतलब यह होगा कि रिलायंस न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे इंटीग्रेटेड सोलर कॉम्प्लेक्स खड़ा करेगा। इसके साथ ही कंपनी बैटरी और इलेक्ट्रोलाइज़र गीगा फैक्ट्री भी बना रही है। बैटरी गीगा फैक्ट्री 2026 से काम शुरू करेगी जिसकी क्षमता 40 GWh होगी और इसे 100 GWh तक बढ़ाया जाएगा। वहीं इलेक्ट्रोलाइज़र फैक्ट्री भी 2026 के अंत तक 3GW सालाना क्षमता के साथ शुरू हो जाएगी।
भारत को मिलेगा ग्रीन एनर्जी का नेतृत्व
यह पूरा इंटीग्रेटेड इकोसिस्टम – सोलर, बैटरी स्टोरेज और हाइड्रोजन – एक ही छत के नीचे बनेगा। इससे न केवल पैमाने और लागत में फायदा होगा बल्कि भारत को सप्लाई चेन रेजिलिएंस भी मिलेगी। मुकेश अंबानी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से भारत ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन में नेतृत्व की भूमिका निभाएगा। खास बात यह है कि आने वाले वर्षों में रिलायंस 3 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन कैपेसिटी हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है।
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