आजकल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) का क्रेज बढ़ता जा रहा है और इसी के साथ सोलर एनर्जी से इन्हें चार्ज करने का नया ट्रेंड भी जोर पकड़ रहा है। भारत जैसे धूपप्रधान देश में यह तकनीक न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से भी राहत देती है। 2025 में सरकार की पीएम सुर्यघर स्कीम ने इस ट्रेंड को और गति दी है, जिससे इंस्टॉलेशन कॉस्ट में 40 प्रतिशत तक की कमी आ गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, सोलर-पावर्ड EV चार्जिंग स्टेशन्स की संख्या 2025 तक तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि ये न केवल बिजली बिल बचाते हैं बल्कि कार्बन एमिशन भी कम करते हैं।

एक हालिया प्रोजेक्ट में एडवांस्ड सोलर पैनल्स ने एनर्जी कॉस्ट को 5 प्रतिशत तक घटा दिया, जो शहरों में EV यूजर्स के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसके अलावा, स्मार्ट मीटरिंग और एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस जैसी इनोवेशन्स ने इस सिस्टम को और अधिक विश्वसनीय बना दिया है। भारत में EV मार्केट 2030 तक 102 मिलियन वाहनों तक पहुंचने की उम्मीद है और सोलर चार्जिंग ही इसका प्रमुख समर्थन करेगी। यह ट्रेंड न केवल होम यूजर्स के लिए बल्कि पब्लिक स्टेशन्स के लिए भी लोकप्रिय हो रहा है, जहां वायरलेस चार्जिंग तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। कुल मिलाकर सोलर EV चार्जिंग सस्टेनेबल मोबिलिटी का भविष्य है।
EV कार चार्ज करने के लिए कितने सोलर पैनल्स की जरूरत?
एक औसत EV कार को सोलर से चार्ज करने के लिए कितने पैनल्स लगेंगे, यह सवाल हर EV ओनर के मन में आता है। 2025 के आंकड़ों के मुताबिक एक एवरेज EV जो मासिक 362 kWh बिजली खपत करता है, उसके लिए लगभग 6 सोलर पैनल्स की जरूरत पड़ती है। यह संख्या 5 से 8 के बीच हो सकती है, जो कार की बैटरी कैपेसिटी, लोकल सनलाइट आवर्स और पैनल की एफिशिएंसी पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, भारत की धूप में जहां महीने में 150 पीक सन आवर्स मिलते हैं, वहां 2.4 kW का सोलर सिस्टम पर्याप्त होता है, जो 400 वाट के 6 पैनल्स से बनता है।
अगर आपकी EV टेस्ला मॉडल S जैसी हाई-कैपेसिटी वाली है तो 15 पैनल्स तक लग सकते हैं, लेकिन स्टैंडर्ड इंडियन EVs जैसे टाटा नेक्सॉन EV के लिए 6-8 पैनल्स ही काफी हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि होम सेटअप में बैटरी स्टोरेज को शामिल करें ताकि रात में भी चार्जिंग संभव हो। भारत में Waaree जैसे ब्रांड्स हाई-एफिशिएंसी पैनल्स ऑफर कर रहे हैं, जो कम जगह में ज्यादा आउटपुट देते हैं। इस तरह, सोलर पैनल्स न केवल EV को फुल चार्ज करते हैं बल्कि अतिरिक्त एनर्जी घर के इस्तेमाल के लिए भी बचा सकते हैं। कुल मिलाकर, सही कैलकुलेशन से आपका EV हमेशा रेडी रह सकता है।
सोलर EV चार्जिंग का कुल खर्चा और फायदे
सोलर से EV चार्ज करने का खर्चा जानना जरूरी है, क्योंकि शुरुआती निवेश बड़ा लग सकता है लेकिन लॉन्ग-टर्म में यह फायदेमंद साबित होता है। 2025 में भारत में सोलर पैनल इंस्टॉलेशन की दर लगभग 20 रुपये प्रति वाट है, यानी 6 पैनल्स (2.4 kW) के लिए कुल कॉस्ट 1,20,000 से 1,40,000 रुपये तक आ सकती है। EV चार्जर के साथ इंटीग्रेशन पर लेवल 2 चार्जर के लिए 50,000 रुपये अतिरिक्त लग सकते हैं, जिसमें सोलर कंपोनेंट्स 20-30 प्रतिशत बढ़ाते हैं।
हालांकि, सरकारी सब्सिडी से 60 प्रतिशत तक छूट मिलती है, जिससे टोटल खर्चा 60,000 से 70,000 रुपये (2.5 kW सिस्टम के लिए) तक सीमित रह जाता है। फायदों की बात करें तो यह पर्यावरण को बचाता है, बिजली बिल जीरो करता है और 4-5 साल में ROI देता है। 2025 में EV चार्जिंग फ्रैंचाइजी में निवेश भी आकर्षक है, क्योंकि पब्लिक स्टेशन्स की डिमांड बढ़ रही है। अंत में सोलर EV चार्जिंग न केवल आर्थिक बल्कि इको-फ्रेंडली विकल्प है, जो भारत के ग्रीन एनर्जी गोल्स को सपोर्ट करता है।
यह भी पढ़े – 👉 US टैक्स का झटका, लेकिन इंडिया की Solar Industry ने पकड़ी रफ्तार – जानिए कैसे!