राजस्थान बना रिन्यूएबल एनर्जी का किंग! 50% से ज्यादा बिजली अब सूरज और हवा से

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | August 29, 2025

राजस्थान ने एक बार फिर देश में ग्रीन एनर्जी की राह दिखा दी है। राज्य की आधी से ज्यादा बिजली अब सूरज और हवा से पैदा हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान की अपनी रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट्स की क्षमता 15,400 मेगावाट (सोलर, विंड और बायोमास सहित) तक पहुंच चुकी है, जबकि फॉसिल-फ्यूल आधारित क्षमता करीब 12,000 मेगावाट है। इसका मतलब साफ है कि राजस्थान ने परंपरागत कोयला और गैस आधारित बिजली उत्पादन को पीछे छोड़कर एक नए युग की शुरुआत कर दी है।

Half of Rajasthan’s Electricity Now Green

राजस्थान बना सौर और पवन ऊर्जा का हब

राजस्थान के रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट्स अब कुल बिजली खपत का लगभग 18% हिस्सा पूरा कर रहे हैं। यहां की भौगोलिक स्थिति और धूप की भरपूर उपलब्धता ने राज्य को सोलर पावर का हब बना दिया है। यही वजह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां राजस्थान में सोलर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट लगाने के लिए लाइन में खड़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में राजस्थान देश ही नहीं, बल्कि दुनिया का “ग्रीन पावर हब” बन सकता है। खासकर जब यहां रेगिस्तानी इलाकों में सैकड़ों एकड़ जमीन पर सोलर पैनल बिछाए जा रहे हैं, तब यह सपना दूर नहीं लगता है।

बड़ी चुनौती: ग्रिड मैनेजमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर

हालांकि उत्पादन में बढ़त मिलने के बावजूद राजस्थान के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है—ग्रिड स्टेबिलिटी और बिजली ट्रांसमिशन। सोलर पावर दिन के समय ज्यादा मिलती है और रात में उत्पादन लगभग शून्य हो जाता है। ऐसे में बिजली की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करना एक कठिन काम है। ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अजीताभ शर्मा ने बताया कि राज्य को फिलहाल ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ाने और बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स पर बड़ा निवेश करने की जरूरत है। इसी दिशा में राजस्थान ने 3,000 मेगावाट बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही 2,000 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता भी जोड़ी जाएगी।

निवेशकों के लिए सुनहरा मौका

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर राजस्थान ने तेजी से ट्रांसमिशन और स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया, तो यह राज्य निवेशकों के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य बन जाएगा। पहले ही हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है और आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है। फिलहाल सबसे बड़ा खतरा बिजली के दामों में अस्थिरता और ग्रिड पर लोड बैलेंसिंग को माना जा रहा है। लेकिन सरकार का दावा है कि सही समय पर निवेश और तकनीकी अपग्रेडेशन से राजस्थान इस चुनौती को भी अवसर में बदल सकता है।

राजस्थान ने यह साबित कर दिया है कि सही नीतियों और विजन के साथ रेगिस्तान की धूप और हवाएं भी करोड़ों लोगों की जिंदगी रोशन कर सकती हैं। आने वाले समय में यह राज्य भारत की “एनर्जी कैपिटल” बनने की पूरी क्षमता रखता है।

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