भारत तेजी से सोलर पावर सुपरपावर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसी बीच SBI Capital की एक नई रिपोर्ट ने उद्योग जगत में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक भारत के सोलर सेक्टर में भारी ओवरसप्लाई (Oversupply) का खतरा मंडरा रहा है। आने वाले तीन वर्षों में भारत की कुल सोलर इंस्टॉलेशन क्षमता 190 गीगावॉट (GW) तक पहुंच सकती है। लेकिन इतनी बड़ी ग्रोथ के साथ मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने की संभावना जताई गई है।

तेज़ी से बढ़ती क्षमता और ओवरसप्लाई का खतरा
भारत हर साल 40–50 GW सोलर क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखता है ताकि 2030 तक अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। इसी वजह से एक मजबूत मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग बेस की आवश्यकता है, जो अब लगभग 100 GW के करीब पहुंच चुका है। बीते दो सालों में इस सेक्टर में तेजी से निवेश हुआ है, खासकर PLI (Production Linked Incentive) स्कीम और ALMM (Approved List of Models and Manufacturers) की वजह से। FY25 में ही सोलर इंस्टॉलेशन में 60% की जबरदस्त बढ़त देखने को मिली और 24 GW तक पहुंच गई। इससे मॉड्यूल डिमांड लगभग 50 GWdc तक बढ़ गई।
हालांकि यह तेज़ ग्रोथ अब चिंता का कारण बन रही है, क्योंकि अगर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डिमांड उतनी तेजी से नहीं बढ़ी, तो अतिरिक्त क्षमता ओवरसप्लाई में बदल सकती है। खासकर अमेरिका द्वारा सोलर प्रोजेक्ट्स पर दी जाने वाली इंसेंटिव्स वापस लेने के बाद एक्सपोर्ट के अवसर भी घट गए हैं।
सोलर मैन्युफैक्चरिंग की कमजोर कड़ी
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत ने मॉड्यूल प्रोडक्शन में भले ही बड़ी छलांग लगाई हो, लेकिन सोलर सेल्स की क्षमता अभी भी 30 GW से कम है। अगस्त 2025 से लागू होने वाला ALMM-II नियम केवल उन्हीं प्रोजेक्ट्स को मान्यता देगा जो घरेलू निर्माताओं के सर्टिफाइड सेल्स का इस्तेमाल करेंगे। इससे घरेलू सेल मैन्युफैक्चरिंग में निवेश बढ़ सकता है, लेकिन तब तक सीमित सप्लाई के कारण प्रोजेक्ट लागत बढ़ने और बिडिंग पर असर पड़ने की संभावना है।
SBI Capital का मानना है कि आने वाले समय में सेल सेगमेंट में क्षमता विस्तार जरूर होगा, लेकिन अभी की स्थिति निवेशकों और डेवलपर्स दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
वेफ़र और पॉलिसिलिकॉन में पिछड़ रहा भारत
एक और बड़ी चिंता वेफ़र और पॉलिसिलिकॉन मैन्युफैक्चरिंग में भारत की बेहद कम मौजूदगी है। सरकार ने मार्च 2027 तक 40 GW वेफ़र क्षमता का लक्ष्य रखा है, लेकिन जमीन पर प्रगति बहुत धीमी है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसिलिकॉन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे उन कंपनियों के मार्जिन पर दबाव है जो पूरे वैल्यू-चेन को कवर नहीं करतीं।
स्पष्ट है कि भारत को सोलर सेल से लेकर पॉलिसिलिकॉन तक पूरी वैल्यू चेन को मजबूत करना होगा। वरना ओवरसप्लाई और ग्लोबल मार्केट की चुनौतियां मिलकर घरेलू सोलर इंडस्ट्री के लिए सिरदर्द साबित हो सकती हैं।
यह भी पढ़े – 👉 PM Surya Ghar योजना: अब 2kw सोलर सिस्टम पर 90,000 की सब्सिडी, यूपी के 10 हजार घर होंगे रोशन!