चीन पर कम होगी निर्भरता! भारत में बनगे परोव्स्काइट और Quantum Dot सोलर पैनल, जानिए सरकार का मास्टरप्लान

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | September 12, 2025

भारत अब सोलर एनर्जी टेक्नोलॉजी में सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि इनोवेटर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 17 सितंबर 2025 को दोपहर 2 बजे सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) और मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) एक बड़ा वेबिनार आयोजित करेंगे। इस वेबिनार का मकसद सिर्फ सोलर पैनल की क्षमता बढ़ाना ही नहीं, बल्कि देश को चीन पर निर्भरता से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाना भी है।

India Begins Production of Next-Gen Solar Panels

अगली पीढ़ी की सोलर टेक्नोलॉजी पर फोकस

वेबिनार में परोव्स्काइट, टैंडम, बाईफेशियल, TOPCon और क्वांटम डॉट सोलर सेल जैसी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी पर चर्चा होगी। खासकर परोव्स्काइट और टैंडम सोलर सेल को गेमचेंजर माना जा रहा है, क्योंकि ये 28–30% तक की एफिशिएंसी दे सकते हैं, जबकि पारंपरिक सिलिकॉन आधारित पैनल सिर्फ 18–24% तक ही सीमित हैं। इसका सीधा मतलब है—कम जमीन पर ज्यादा बिजली उत्पादन होगा। यही कारण है कि IIT बॉम्बे, IIT दिल्ली, IIT रुड़की और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी जैसी संस्थाएं इस दिशा में रिसर्च को तेज कर चुकी हैं।

1% एफिशिएंसी = ₹2,190 करोड़ की कमाई

सरकार के मुताबिक, अगर पूरे 100 गीगावाट के सोलर कैपेसिटी पर सिर्फ 1% एफिशिएंसी भी बढ़ती है, तो देश को हर साल करीब ₹2,190 करोड़ की अतिरिक्त आय हो सकती है। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि तकनीकी सुधार का सीधा असर आर्थिक मजबूती पर पड़ता है। इसके अलावा, बाईफेशियल मॉड्यूल और वर्टिकल पैनल इंस्टॉलेशन जैसी तकनीकें बिजली उत्पादन को और सस्ता व असरदार बना सकती हैं।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “आत्मनिर्भर भारत” की सोच को मजबूती देने वाली है। अब तक भारत सोलर मैन्युफैक्चरिंग में चीन पर भारी निर्भर रहा है, लेकिन परोव्स्काइट और क्वांटम डॉट जैसी इंडिजिनस टेक्नोलॉजी का विकास भारत को ग्लोबल लीडर बना सकता है। वेबिनार में सरकार, इंडस्ट्री, रिसर्चर और स्टार्टअप्स मिलकर रोडमैप तय करेंगे ताकि आने वाले समय में भारत सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर न बने, बल्कि दुनिया को टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट भी कर सके।

भारत की यह रणनीति न सिर्फ सोलर पावर सेक्टर को बदलने वाली है, बल्कि लाखों युवाओं के लिए नए रोजगार और रिसर्च के अवसर भी पैदा करेगी। अगर यह मास्टरप्लान सफल हुआ, तो आने वाले वर्षों में भारत ग्लोबल एनर्जी मार्केट में चीन को कड़ी टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार होगा।

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