200 गुना तेज़ी से बनेंगे पेरोव्स्काइट सोलर सेल, जापान की खोज से घटेगा खर्च और बढ़ेगी ग्रीन एनर्जी

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | August 28, 2025

जापान ने सौर ऊर्जा की दुनिया में एक ऐसा बड़ा कदम उठाया है, जो आने वाले वर्षों में ग्रीन एनर्जी सेक्टर की तस्वीर पूरी तरह बदल सकता है। जापान की कंपनी Sumitomo Heavy Industries (SHI) ने पेरोव्स्काइट सोलर सेल बनाने का एक नया तरीका खोजा है, जिससे न केवल उत्पादन की गति 200 गुना तेज हो जाएगी, बल्कि इसकी लागत भी बेहद कम हो जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह खोज सौर ऊर्जा को और सस्ता, टिकाऊ और व्यापक बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

Japan speeds perovskite cell production

पेरोव्स्काइट सोलर सेल क्यों खास हैं?

पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स को सौर ऊर्जा का भविष्य कहा जाता है। पारंपरिक सिलिकॉन सोलर पैनलों की तुलना में ये ज्यादा हल्के, लचीले और कम लागत में तैयार किए जा सकते हैं। यही कारण है कि जापान, अमेरिका और यूरोप जैसे देश इस तकनीक पर तेज़ी से रिसर्च कर रहे हैं। फिलहाल इनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि पारंपरिक निर्माण तकनीकों में ज्यादा तापमान और हानिकारक गैसों का इस्तेमाल होता है, जिससे पेरोव्स्काइट परतें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसी वजह से अब तक इसका बड़े पैमाने पर उपयोग करना मुश्किल साबित हुआ है।

SHI की नई तकनीक कैसे बदलेगी खेल?

SHI ने Reactive Plasma Deposition (RPD) नामक तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स की एक अहम परत—Electron Transport Layer (ETL)—को बेहद कम तापमान पर तैयार किया जा सकता है। यह परत इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के लिए “हाईवे” का काम करती है और इसकी गुणवत्ता सीधे सोलर सेल की दक्षता को प्रभावित करती है। नई तकनीक से SnO₂ (टिन ऑक्साइड) की अल्ट्रा-थिन परत बेहद सुरक्षित और तेजी से जमा की जा सकती है। खास बात यह है कि यह प्रक्रिया न तो पेरोव्स्काइट को नुकसान पहुंचाती है और न ही इसमें जहरीली गैसों का इस्तेमाल होता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह विधि मौजूदा तरीकों से 200 गुना तेज है और इसकी लागत भी लगभग 0.5% रह जाती है। इसका मतलब है कि भविष्य में सोलर पैनलों की कीमतें काफी घट सकती हैं, जिससे आम लोगों के लिए भी ग्रीन एनर्जी अपनाना आसान होगा।

ग्रीन एनर्जी की ओर जापान का बड़ा विजन

जापान पहले से ही 2040 तक 20 GW पेरोव्स्काइट सोलर कैपेसिटी हासिल करने का लक्ष्य रखता है। सरकार चाहती है कि भविष्य में शहरों की इमारतों, खिड़कियों और यहां तक कि छतों पर भी हल्के और लचीले पेरोव्स्काइट पैनल लगाए जा सकें। हाल ही में जापान ने पेरोव्स्काइट-सिलिकॉन टैन्डम सेल में 26.5% दक्षता हासिल कर दुनिया को दिखा दिया है कि यह तकनीक कितनी संभावनाओं से भरी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि SHI की यह नई खोज न केवल जापान बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। सस्ती और टिकाऊ ग्रीन एनर्जी से न केवल कार्बन उत्सर्जन घटेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन की जंग लड़ने में भी मदद मिलेगी। आने वाले वर्षों में जब पेरोव्स्काइट सोलर सेल बड़े पैमाने पर उत्पादन में उतरेंगे, तब सौर ऊर्जा वास्तव में हर घर और हर इमारत तक पहुंच पाएगी।

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