सोलर पैनल्स हो जाएंगे बेकार? वैज्ञानिकों ने बनाई 15 गुना ज्यादा पावर देने वाली ‘ब्लैक मेटल’ टेक्नोलॉजी

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | August 26, 2025

दुनिया भर में सोलर पैनल्स को भविष्य की ऊर्जा का सबसे भरोसेमंद साधन माना जाता रहा है। छतों से लेकर बड़े-बड़े सोलर फार्म तक, हर जगह यह तकनीक बिजली उत्पादन का नया विकल्प बन चुकी है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा इनोवेशन किया है जो पारंपरिक सोलर पैनल्स को पीछे छोड़ सकता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर के शोधकर्ताओं ने एक नया “ब्लैक मेटल” सोलर डिवाइस तैयार किया है, जो मौजूदा तकनीक से 15 गुना ज्यादा पावर पैदा कर सकता है। यह खोज ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

Scientists Create 15x Power Black Metal

कैसे काम करती है यह नई ‘ब्लैक मेटल’ तकनीक?

अब तक ज्यादातर सोलर पैनल्स फोटोवोल्टाइक तकनीक पर आधारित रहे हैं, जहां धूप को सीधे बिजली में बदला जाता है। लेकिन रोचेस्टर की टीम ने जिस सिस्टम को बनाया है, वह सोलर थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (STEG) कहलाता है। यह सीधा प्रकाश को बिजली में नहीं बदलता, बल्कि गर्मी का इस्तेमाल करता है। इसमें एक हॉट साइड और एक कोल्ड साइड होती है, और जब दोनों में बड़ा अंतर बनता है, तो बिजली पैदा होती है।

समस्या यह रही कि पुराने STEG मॉडल बेहद कमज़ोर थे और 1% से भी कम दक्षता देते थे। जबकि सामान्य सोलर पैनल 20% तक की दक्षता से बिजली बनाते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने सेमीकंडक्टर्स को सुधारने के बजाय हीट मैनेजमेंट पर फोकस किया।

15 गुना ज्यादा पावर कैसे मिली?

इस नए डिवाइस में वैज्ञानिकों ने तीन बड़ी तरकीबें अपनाईं—

  1. ब्लैक मेटल सरफेस – टंगस्टन धातु पर लेज़र से बेहद छोटे-छोटे पैटर्न बनाए गए, जिससे यह “ब्लैक मेटल” बन गया। यह सूरज की रोशनी को बेहद प्रभावी ढंग से सोखता है।
  2. मिनी ग्रीनहाउस इफेक्ट – गर्मी फँसाने के लिए ब्लैक मेटल पर एक पारदर्शी प्लास्टिक लगाया गया, जो खेतों की ग्रीनहाउस तकनीक जैसा काम करता है।
  3. सुपर-कूल्ड एल्युमिनियम – ठंडी साइड पर लेज़र तकनीक से एल्युमिनियम को और भी ज्यादा ठंडा रखने लायक बनाया गया। इससे गर्म और ठंडी साइड का फर्क बढ़ गया और बिजली उत्पादन कई गुना बढ़ गया।

इन तीन उपायों के बाद STEG की क्षमता इतनी बढ़ गई कि अब यह छोटे-छोटे LEDs तक चला सकता है, जबकि पुराने डिवाइस इससे भी पीछे रह जाते थे।

भविष्य में क्या होंगे इसके फायदे?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक आने वाले समय में कई जगह कारगर साबित हो सकती है। मसलन –

  • छोटे वायरलेस सेंसर और वियरेबल्स को पावर देने में।
  • गांवों और दूर-दराज के इलाकों में जहां बिजली की सुविधा नहीं है।
  • बढ़ते हुए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के लिए सस्ते और टिकाऊ पावर सोर्स उपलब्ध कराने में।

हालांकि बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए फिलहाल फोटोवोल्टाइक पैनल्स ही मुख्य विकल्प बने रहेंगे, लेकिन यह खोज साबित करती है कि सोलर टेक्नोलॉजी अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि इसमें नई संभावनाओं के दरवाजे खुल रहे हैं।

जैसा कि शोध के प्रमुख वैज्ञानिक चुनलेई गुओ ने कहा – “हमने सेमीकंडक्टर्स को छुआ तक नहीं, सिर्फ गर्म और ठंडी साइड को बेहतर बनाया और नतीजा 15 गुना ज्यादा पावर निकला है।”

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