उत्तर प्रदेश में सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी घोषणा की गई है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत ट्रांसमिशन चार्ज पर छूट देने की व्यवस्था बनाई गई है। इस कदम का सीधा फायदा राज्य के उपभोक्ताओं को मिलने वाला है, क्योंकि सोलर से जुड़ने पर बिजली का खर्च काफी हद तक कम होगा।

क्या है नया आदेश और इसका असर
नए आदेश के तहत ट्रांसमिशन चार्ज का निर्धारण करते समय उन उपभोक्ताओं और संस्थाओं को छूट दी जाएगी, जो सोलर ऊर्जा या अन्य नवीकरणीय स्रोतों से बिजली ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश की 2022 की सोलर नीति के अनुसार, राज्य में उत्पादित सोलर ऊर्जा को ट्रांसमिशन चार्ज कैलकुलेशन में रिबेट योग्य माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि सोलर ऊर्जा का उपयोग करने पर बिजली वितरण कंपनियों (Discoms) और इंडियन रेलवे जैसी बड़ी इकाइयों को कम ट्रांसमिशन शुल्क देना होगा।
इससे बिजली वितरण कंपनियों पर बोझ घटेगा और अंततः इसका लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा। आयोग ने साफ किया है कि यह छूट केवल राज्य के अंदर उत्पन्न सोलर बिजली पर ही लागू होगी। इससे स्थानीय स्तर पर सोलर प्लांट लगाने की रफ्तार भी तेज होगी।
कैसे होगा ट्रांसमिशन चार्ज का निर्धारण
आयोग ने आदेश में बताया कि ट्रांसमिशन चार्ज की गणना “Adjusted Total Transmission System Cost (TTSC)” के आधार पर की जाएगी। TTSC में सोलर ऊर्जा से आने वाली रिबेट योग्य लागत को जोड़कर कुल खर्च निकाला जाएगा। इसके बाद यह खर्च विभिन्न वितरण कंपनियों और रेलवे के बीच उनकी बिजली खपत क्षमता के आधार पर बांटा जाएगा।
हर साल बिजली वितरण कंपनियों और रेलवे को अपनी ऊर्जा की जरूरत का अनुमान लगाकर स्टेट ट्रांसमिशन यूटिलिटी (STU) को देना होगा। इसमें सोलर और नॉन-सोलर दोनों स्रोतों का अलग-अलग ब्यौरा होगा। उदाहरण के तौर पर, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए यह अनुमान पहले ही तैयार किया जा चुका है। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता भी बढ़ेगी और कंपनियों को पहले से पता रहेगा कि उन्हें कितनी छूट मिलने वाली है।
उपभोक्ताओं को होगा बड़ा लाभ
ट्रांसमिशन चार्ज पर छूट का सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा। जब वितरण कंपनियों की लागत घटेगी, तो इसका असर सीधे बिजली के बिलों पर पड़ेगा। खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में, जहां बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है, यह व्यवस्था राहत देने वाली साबित होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही कई सोलर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। आदेश में भविष्य की परियोजनाओं की सूची भी दी गई है, जिससे साफ है कि राज्य बड़े स्तर पर सोलर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम राज्य को न सिर्फ ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे ले जाएगा, बल्कि प्रदूषण कम करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह मॉडल सफल होता है, तो अन्य राज्य भी इसी तरह के कदम उठा सकते हैं। इससे न केवल उपभोक्ताओं के बिजली बिल कम होंगे, बल्कि भारत अपने नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को भी तेजी से हासिल कर सकेगा।
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